पिछले वर्ष प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया था कि सात अलग-अलग साइबेरियाई स्थानों से कई वायरसों की पहचान हुई है. उनमें से एक वायरस का नमूना 48,500 वर्ष पुराना है।
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2014 में वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह प्रदर्शित किया था कि हजारों वर्षों तक पर्माफ्रॉस्ट में दबे रहने के बाद भी ये वायरस एकल-कोशिका वाले प्राणियों को संक्रमित कर सकते हैं.
आनुवंशिकीविद् जीन-मिशेल क्लेवेरी ने कहा, ‘वहां ऐसे वायरस हैं जो मनुष्यों को संक्रमित करने और एक नई बीमारी का प्रकोप शुरू करने की क्षमता रखते हैं।’
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आगे बोलते हुए क्लेवेरी ने कहा कि “खतरा एक और ग्लोबल वार्मिंग प्रभाव से आता है: आर्कटिक समुद्री बर्फ का गायब होना। इससे साइबेरिया में शिपिंग, यातायात और औद्योगिक विकास में वृद्धि हो रही है।
विशाल खनन कार्यों के उन ऑपरेशनों से बड़ी मात्रा में रोगजनक निकलेंगे जो अभी भी वहां पनप रहे हैं। खनिक अंदर जाएंगे और वायरस को सांस के साथ लेंगे। प्रभाव विनाशकारी हो सकते हैं.”
कोरोना वायरस की तरह ‘ज़ोंबी वायरस’ भी इंसानों को संक्रमित और बीमार कर सकता है. बल्कि ज्यादा खतरनाक हो सकता है. इससे भयावह वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल स्थिति उत्पन्न हो सकती है.