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Puja Begins In ‘Vyas Ka Tahkhana’ Area: वाराणसी जिला अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया है. अदालत ने ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष में फैसला सुनते हुए हिन्दू श्रद्धालुओं को ज्ञानवापी मस्जिद के ‘व्यास का तहखाना’ क्षेत्र में पूजा-प्रार्थना करने की अनुमति दी है. फैसले में कहा गया था कि भक्त और पुजारी 1 फरवरी से ‘व्यास का तहखाना’ क्षेत्र में पूजा कर सकते हैं. इस फैसले से हिन्दू पक्ष बहुत खुश है और कई भक्त और पुजारी गुरुवार, 1 फरवरी को सुबह 3 बजे ही पूजा करने पहुंच गए.
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
वाराणसी जिला अदालत के द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूजा करने का फैसला आते ही मंदिर और आस-पास के क्षेत्र में सुरक्षा इंतजाम कड़े कर दिए गए. वाराणसी जिला मजिस्ट्रेट एस राजलिंगम ने तुरंत अदालत के आदेश का अनुपालन किया है और पर्याप्त व्यवस्था करने की पहल की है. उनके प्रयास का उद्देश्य ये था कि अदालत द्वारा दिए गए आदेश के तहत भक्त पूजा-पाठ कर सकें और उन्हें किसी प्रकार की असुविधा ना हो. डीएम ने सुरक्षा इंतजाम पर भी काफी ध्यान दिया है ताकि किसी प्रकार की पड़ेशानी कड़ी ना हो पाए.
सुबह 3 बजे से तहखाने में पूजा शुरू
कोर्ट का फैसला आते ही भक्तगण पूजा करने के लिए उत्साहित नजर आये. एक भक्त ने मीडिया से कहा कि “हम सभी दर्शन के लिए हर दिन 3-3:00 बजे तक यहां आते हैं… हम अदालत के आदेश से बेहद खुश और भावुक हैं. हमारी खुशी कोई सीमा नहीं है…”
एक अन्य भक्त ने कहा कि “हमने नंदी बैल को देखा. हम प्रार्थना की पेशकश करने के लिए कल से इंतजार कर रहे हैं. मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए. प्रार्थना की पेशकश के बाद हम बहुत खुश हैं।”
भक्तों के लिए नहीं खुला है तहखाना
अदालत द्वारा ‘व्यास का तखना’ में पूजा की अनुमति दिए जाने के बाद वकील सोहन लाल आर्य कहते हैं, “आज हम बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। अदालत का कल का फैसला अभूतपूर्व था… व्यवस्थाएं की गई हैं लेकिन यह (व्यास का तखना) अभी तक भक्तों के लिए नहीं खोला गया है…”
#WATCH | Gyanvapi case | After the court grants permission for puja in the ‘Vyas Ka Tekhana’, advocate Sohan Lal Arya says, “We are feeling very proud today. The court’s decision yesterday was unprecedented…The arrangements have been made but it (Vyas Ka Tekhana) has not been… pic.twitter.com/21R8jzcxQe
— ANI (@ANI) February 1, 2024
क्या कहना है मुस्लिम पक्ष का
अदालत के फैसले से मुस्लिम पक्ष काफी नाराज नजर आ रहा है. एडवोकेट मेराजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि “उसी दृष्टिकोण को अपनाया जा रहा है, जो बाबरी मस्जिद मामले में किया गया था. आयुक्त की रिपोर्ट और एएसआई की रिपोर्ट पहले कहा था कि कुछ भी अंदर नहीं था. हम फैसले से बहुत नाखुश हैं.”
सिद्दीकी ने ये भी कहा कि वे इस आदेश को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालयों में जायेंगे. “मैं इस तरह के किसी भी आदेश को स्वीकार नहीं करूंगा. जिला मजिस्ट्रेट और जिला अध्यक्ष दोनों ही दस्ताने में काम कर रहे हैं. हम इसे कानूनी रूप से लड़ेंगे. यह राजनीतिक लाभ पाने के लिए हो रहा है।”
मुस्लिम पक्ष के अन्य वकील की राय
मुस्लिम पक्ष के एक अन्य वकील अखलाक अहमद का कहना है कि वो वाराणसी अदालत के फैसले को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख करेगा. वो कहता है कि “हम निर्णय के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख करेंगे. आदेश ने 2022 के एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट, एएसआई की रिपोर्ट और 1937 के निर्णय की अनदेखी की है, जो हमारे पक्ष में था. हिंदू पक्ष ने कोई सबूत नहीं दिया है कि प्रार्थनाएं 1993 से पहले आयोजित की गई थीं. जगह में ऐसी कोई मूर्ति नहीं है, ”अखलाक अहमद ने कहा.
हिन्दू पक्ष के वकील क्या कहते हैं
हिंदू पक्ष एक के वकील, सुभाष नंदन चतुर्वेदी कहते हैं, “…आज ‘व्यास का तहखाना’ में पूजा करने का अधिकार दिया गया है और अदालत ने जिला अधिकारी को एक सप्ताह के भीतर आदेश के अनुपालन के लिए आदेश दिया है…”
#WATCH | Gyanvapi case | UP: Advocate of the Hindu side, Sudhir Tripathi says, “…Today the court has ordered that arrangements should be made and puja here (Vyas ji Ka Tekhana) should be allowed. The puja can start on any day in the next 7 days…” pic.twitter.com/bcTIAiDgRi
— ANI (@ANI) January 31, 2024
अंत में
मुकदमे के अनुसार गौरतलब है कि मस्जिद वाले क्षेत्र में पुजारी सोमनाथ व्यास 1993 तक वहां प्रार्थना करते थे. लेकिन उसे बाद से ही आदेशों के चलते तहखाने को अधिकारियों द्वारा बंद कर दिया गया था. 🟥